उत्तर प्रदेश: इस गांव के लोग अमिताभ बच्चन के कॉलेज का इंतज़ार ही करते रहे...
राजधानी लखनऊ से लगे बाराबंकी ज़िले
में है दौलतपुर गांव. दस साल पहले गांव वालों के लिए एक ऐसा मौक़ा आया था
जब उन्हें लगा कि सच में उनके हाथ कोई बड़ी 'दौलत' आ गई है.
मौक़ा था
गांव में एक डिग्री कॉलेज के शिलान्यास का. गांव वालों के सपनों को ऊंची
उड़ान तक पहुंचाया था शिलान्यास के लिए पहुंचे नामी-गिरामी लोगों की भीड़
ने.बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय के नाम से खुलने वाले कन्या महाविद्यालय के शिलान्यास के लिए ख़ुद ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिषेक बच्चन, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन तो थे ही, मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह जैसी राजनीतिक हस्तियां भी थीं.
इसके अलावा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू और जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला जैसे लोग भी इस गांव में शिलान्यास के मौक़े पर कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे.
लेकिन दस साल बीत जाने के बाद स्थिति ये है कि गांव वाले उस 'दिव्य' कार्यक्रम को याद भी नहीं करना चाहते.
कॉलेज बनने के लिए जिस ज़मीन को दान में दिया गया था, वो ज़मीन आज भी वैसी ही पड़ी है.
ज़मीन के एक कोने पर उस समय मंच के लिए बनाया गया ऊंचा टीला अब ढहने लगा है. कॉलेज भवन के नाम पर आज तक एक ईंट भी नहीं जोड़ी गई और स्थिति यहां तक पहुंच गई कि इस पूरे कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए जिस ग्रेनाइट पत्थर को शिलालेख के तौर पर वहां स्थापित किया गया था, गांव के प्रधान इस डर से उसे अपने घर पर उठा ले गए कि कहीं कोई तोड़ न दे. (उसके चोरी होने का डर इसलिए नहीं था क्योंकि वो किसी के काम की चीज़ नहीं थी.)
लेकिन, इस घटना ने गांव वालों को एक ऐसा सबक़ दिया जो दूसरों के लिए एक उदाहरण बन गया.
क़रीब तीन हज़ार की आबादी वाले इस गांव में एक भी डिग्री कॉलेज या इंटर कॉलेज नहीं था.
गांव के कुछ लोगों ने अपने प्रयास से कॉलेज बनाने का फ़ैसला किया और गांव के एकमात्र पीएचडी धारक सत्यवान शुक्ल के नेतृत्व में इसे अमली जामा पहनाने का फ़ैसला किया.
सत्यवान शुक्ल बताते हैं, "साल 2010 की बात है. मैं ट्रेन से आ रहा था. ट्रेन में मेरी कुछ लोगों से मुलाक़ात हुई जो बॉम्बे से आ रहे थे. बातचीत में वो लोग बताने लगे कि उन्हें मुंबई में प्रताड़ित किया जा रहा है, मारा-पीटा जा रहा है. मैंने पूछा क्यों तो बताने लगे कि वहां के लोगों का कहना है कि अमिताभ बच्चन पैसा तो मुंबई में कमा रहे हैं लेकिन यूनिवर्सिटी दौलतपुर में बनवा रहे हैं."
सत्यवान शुक्ल का कहना था कि उन लोगों को हक़ीक़त नहीं मालूम थी लेकिन मुझे ये बात अंदर तक भेद गई कि चर्चा भी हो कई कि हमारे गांव में कॉलेज खुल गया और कॉलेज के नाम पर कुछ बना भी नहीं.
सत्यवान शुक्ल बताते हैं कि इसके बाद अपने घर वालों से और कुछ मित्रों से बात करके उन्होंने ख़ुद कॉलेज खोलने का फ़ैसला किया.
वो बताते हैं, "मेरे पिताजी और चाचाजी जब अपनी बारह एकड़ पैतृक कृषि योग्य भूमि कॉलेज के नाम पर दान करने को तैयार हो गए तो मेरा हौसला बढ़ गया."
"मैं उरई के एक कॉलेज में पढ़ाता था. मैंने नौकरी छोड़कर कॉलेज खोलने की तैयारी शुरू कर दी. ख़ुद के पास जो कुछ पैसा था वो लगाया, गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर मदद की और बाहर के कुछ मित्रों ने भी मदद की."
दौलतपुर महाविद्यालय नाम से बने इस डिग्री कॉलेज को फ़िलहाल बीएससी कोर्स चलाने की मान्यता अवध विश्वविद्यालय, फ़ैज़ाबाद से मिल गई है और इस सत्र से कॉलेज में एडमिशन भी शुरू हो गया है.
सत्यवान शुक्ल बताते हैं कि बीए की मान्यता के लिए भी प्रयास हो रहा है और उम्मीद है कि ये मिल जाएगी.
इस कॉलेज की दूरी प्रस्तावित ऐश्वर्या राय बच्चन कन्या महाविद्यालय से कुछ सौ मीटर ही है लेकिन सत्यवान शुक्ल और गांव के अन्य लोग ये क़तई नहीं कहते कि उन्होंने इस कॉलेज की प्रतिक्रिया स्वरूप ऐसा किया है.
सत्यवान शुक्ल की संस्था से ही जुड़े दिनेश मौर्य कहते हैं कि हम लोग तो और पहले से ही इस प्रयास में थे लेकिन संसाधनों के अभाव में ऐसा कर नहीं पाए, जब ज़मीन मिल गई तो हमारा उत्साह बढ़ा.
सत्यवान शुक्ल बताते हैं कि कॉलेज के निर्माण में अब तक पचास लाख रुपये से ज़्यादा लग चुके हैं और भवन निर्माण का कार्य अभी चल ही रहा है.
उनके मुताबिक ये सारा पैसा बिना किसी सरकारी अनुदान के उन लोगों ने ख़ुद से इकट्ठा किया है और लगाया है.
वहीं, ऐश्वर्या राय बच्चन कन्या महाविद्यालय न खुल पाने की वजहों के बारे में मौजूदा ग्राम प्रधान अमित सिंह कहते हैं, "अमिताभ बच्चन ने कॉलेज के लिए ज़मीन और पैसा निष्ठा फाउंडेशन को दिया. लेकिन निष्ठा फ़ाउंडेशन ने उसे पांच-छह साल तक लटकाए रखा. वहीं से इस कॉलेज को ग्रहण लग गया. बाद में हम लोगों के कहने पर उस ज़मीन को अमिताभ बच्चन सेवा संस्थान को ट्रांसफ़र कर दिया गया."
उन्होंने कहा कि उसके बाद अमिताभ बच्चन ने पांच लाख रुपये भी दिए. ये भी कहा था कि आगे और पैसा दिया जाएगा. बातचीत अभी भी हो रही है और उम्मीद है कि कॉलेज बनेगा.
अमित सिंह बताते हैं कि दौलतपुर गांव के नाम पर 2012 में वो लोग तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मिले थे.
उनके मुताबिक अखिलेश यादव ने दौलतपुर के नाम पर यहां कई करोड़ रुपये के विकास कार्य कराए लेकिन
वहीं गांव के रहने वाले एक बुज़ुर्ग व्यक्ति राम बहादुर उन दिनों की बात करने पर ही भड़क उठते हैं, "बड़े-बड़े लोग हैं. गांव वालों को बेवकूफ़ बनाकर, उनकी ज़मीन बैनामा कराकर, नाटक नौटंकी करके चले गए."
उन्होंने कहा, ''अमिताभ बच्चन और अमर सिंह बोल कर गए थे कि दौलतपुर को दौलताबाद बना देंगे, लेकिन किए क्या, आप ख़ुद ही देख लो."
राम बहादुर कहते हैं कि जितना पैसा उस समय उद्घाटन और मेहमाननवाज़ी पर ख़र्च किया गया था, उतने पैसे में तो कॉलेज बन गया होता.
ग्राम प्रधान अमित सिंह ने बताया कि अब कॉलेज निर्माण का पूरा काम निष्ठा फ़ाउंडेशन से लेकर अमिताभ बच्चन सेवा संस्थान को दे दिया गया है.
निष्ठा फ़ाउंडेशन की चेयरपर्सन जया बच्चन हैं और बकौल अमित सिंह, जया बच्चन ने कॉलेज निर्माण में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.
इस मामले में निष्ठा फ़ाउंडेशन और अमिताभ बच्चन सेवा संस्थान के पदाधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला.
अमित सिंह बताते हैं कि फ़िलहाल अमिताभ बच्चन सेवा संस्थान के प्रतिनिधि के तौर पर वो ख़ुद ही ये काम देख रहे हैं.
वहीं,
2008 में जब इस कॉलेज का शिलान्यास किया गया था, तब के ग्राम प्रधान रहे
रवींद्र सिंह उर्फ़ बबलू इन सब लोगों पर गांव वालों के साथ धोखा करने और
बेवकूफ़ बनाने का आरोप लगाते हैं.
रवींद्र सिंह कहते हैं, "हमने तो अमिताभ बच्चन के ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज कराया था लेकिन अफ़सर का कहना था कि उन्होंने कॉलेज बनवाने का कोई लिखित आश्वासन तो दिया नहीं था, सिर्फ़ ऐसा कहा ही था. इसलिए उनके ख़िलाफ़ कोई केस नहीं बन पाएगा."
दौलतपुर गांव में अमिताभ बच्चन का कृषि योग्य ज़मीन ख़रीदना और फिर कुछ ज़मीन कॉलेज निर्माण के लिए दान देना उस वक़्त भी काफ़ी चर्चा में रहा था.
बहरहाल, गांव वालों ने उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी है.
ग्राम प्रधान अमित सिंह कहते हैं, "डॉक्टर सत्यवान शुक्ल ने डिग्री कॉलेज खोल ही दिया है. अब इस कॉलेज को यानी ऐश्वर्या राय कन्या महाविद्यालय को हम इंटर कॉलेज बनाएंगे और हमारी कोशिश होगी कि एक ही कैंपस में या
रवींद्र सिंह कहते हैं, "हमने तो अमिताभ बच्चन के ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज कराया था लेकिन अफ़सर का कहना था कि उन्होंने कॉलेज बनवाने का कोई लिखित आश्वासन तो दिया नहीं था, सिर्फ़ ऐसा कहा ही था. इसलिए उनके ख़िलाफ़ कोई केस नहीं बन पाएगा."
दौलतपुर गांव में अमिताभ बच्चन का कृषि योग्य ज़मीन ख़रीदना और फिर कुछ ज़मीन कॉलेज निर्माण के लिए दान देना उस वक़्त भी काफ़ी चर्चा में रहा था.
बहरहाल, गांव वालों ने उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी है.
ग्राम प्रधान अमित सिंह कहते हैं, "डॉक्टर सत्यवान शुक्ल ने डिग्री कॉलेज खोल ही दिया है. अब इस कॉलेज को यानी ऐश्वर्या राय कन्या महाविद्यालय को हम इंटर कॉलेज बनाएंगे और हमारी कोशिश होगी कि एक ही कैंपस में या
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